Monday, October 31, 2011

बेमोल

आँखों में पढ़ लोगे, ये सोच के बैठे थे
आँखें धोखा दे गयी, पलक झपकाए
आंसू भी कोई काम न आये
तुम्हे दिल का सच दिखला न पाए
शब्द सैंकड़ों थे निकाले
इस दिल से तुम्हारे लिए
बे-मोल ही निकले
शब्द सैंकड़ों थे निकाले
इस दिल से तुम्हारे लिए
बेमोल ही निकले मगर -
तुम्हे खुद को हम समझा न पाए|


2 comments:

Kunal said...

samjhane ki koshish to ki! :)

Broken hearts...at least means..you tried!

Best Wishes :)

SK said...

nice lines...