Sunday, November 09, 2014

Ek aur nazm

यूं तो मसले बहुत हैं ज़हन में 
शायरी में उतारे जाने को 
ये कलम मगर बेगैरत बेहया है 
कागज़ पे पड़ते ही 
लफ़्ज़ों को फुसला लेता है 
एक और नज़्म लिख देते हैं 
फिर हम तुम्हारे नाम की । 

1 comment:

Chaitanya Jee said...

उम्दा नज़्म Phoenix!

आशिक़ी के mindset का बखूबी चित्रण