ना जाने तुम बोतल में क्या ढूँढ़ते हो
मैं नज़रों में शराब कब से उतार बैठी हूँ ।
किस दर्द की तलाश करते हो आँखों में मेरी
मोहब्बत का बुखार कब से उतार बैठी हूँ ॥
मैं नज़रों में शराब कब से उतार बैठी हूँ ।
किस दर्द की तलाश करते हो आँखों में मेरी
मोहब्बत का बुखार कब से उतार बैठी हूँ ॥
1 comment:
Mukarar...
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